इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।
अ, जखा परमेसर का पबितर तम्मू की सेवा करीं हीं बो, जखी ईस्बर नगरी म ह बिकिई नकल अर रूप म ह। इ ताँई जद मूसा पबितर झघा बणाबाळो हो जणा बिनै चेतायो गयो हो क, “याद राखजे हरेक चिज बंय्यांई होणी चाए जंय्यां तनै डूँगर प दिखायो गयो हो।”