2 अर मनै ईस्बर नगरीऊँ एक जोरकी उवाज सुणी। बा उवाज भेता झरना की सी अर बिजळी की गरजबा की सी ही। जखी उवाज म सुणी बा उवाज मानो जंय्यां घणा सारका मिनख बीणा बजावै ह बंय्यांकी ही।
अर जद बो बि कागदनै ले लिओ जणा बे च्यारू जीवता पराणी अर बे चोबिस बडका बि उन्या क धोक खाई। बा सगळा क कनै विणा ही अर बे सुगंद देबाळी चिजाऊँ भरेड़ा सोना का प्याला ले राख्या हा, अ परमेसर का मिनखा की अरदासनै दिखावै ह।
बिका पग ताजाई तपाईड़ा काँसा की जंय्यां चमकर्या हा अर बिकी उवाज झरना का पाणी की जंय्यां ही।
इकै पाछै मनै काच की जंय्यां को समदर दिख्यो बो अंय्यां दिखै हो जंय्यां क बिकै मांयनै आग बळरी हो। जखा मिनख बि डरावना जानबर की मूरती अर बिका नाम का आंकऊँ जीतगा हा बानै बी काच का समदर क सारै खड़्या देख्या। बे परमेसर की देयड़ी बीणा ले राखी ही
सातुओ ईस्बर नगरी दुत जद तूताड़ी फूंकी जणा ईस्बर नगरीऊँ जोरको हेलो आयो, “इब इ धरती प परबु अर बिका मसी को राज ह, अर बो जुग-जुग ताँई राज करसी।”
अर नइ तेरै मांय ओज्यु कदै, कोई बीणा, बंसरी, तूताड़ी की धुन सुणबा म आसी। अर नइ तेरै मांय ओज्यु कदै कोई कलाकारी करबाळो कारिगर मिलसी, अर नइ चाकी चालबा की उवाज सुणबा म आसी।
बे दोनू ईस्बर नगरीऊँ हेलो सुणसी, “उपर आज्याओ!” जणा बे दोनू आपका दुस्मना क देखता-देखता बादळा म ईस्बर नगरी म चल्या ज्यासी।
म देख्यो क बो उन्यो बा सात म्होरा मऊँ पेली म्होर की चेपी खोली। जणा म बा च्यार जीवता पराण्या मऊँ एकनै बादळा की गरजबा की उवाज म आ बोलता सुण्यो, “आ।”
अरामहाळा दिन म परबु की जे-जैकार करर्यो हो जणा म पबितर आत्माऊँ भरगो अर म मेरै गेलनै नरसिंगा की उवाज सुणी ,
पेलो ईस्बर नगरी दुत जंय्यांई तूताड़ी बजाई बंय्यांई ओळा, लोय अर आग एक सागै मिलेड़ी दिखी। अर बानै धरती प फेक दिओ गयो जिऊँ धरती अर दरख्ता को एक तिहाई भाग बळर राख होगो, अर सगळी हरी घास बी बळगी।
ज म मिनखा अर ईस्बर नगरी दुता की बोली बोलुँ पण मिनखाऊँ परेम कोनी करूं, जणा म ठन-ठन करती पितळ की परात अर टन-टन करता थाळी गिलास हूँ।