दरसाव 12:1 - जीवन को च्यानणो (सेकावाटी नया नियम की पोथ्या)
1 इकै पाछै आसमान म एक बडी सेलाणी परगट होई। मनै एक लूगाई दिखबा म आई बा सूरजनै धारण कर राखी ही अर चंदरमा बिकै पगा तळै हो। बिकै माथा प बारा तारा को ताज हो।
इकै पाछै म ईस्बर नगरी म एक ओर ताजूबभरी निसाणी देखी, इबकै म देख्यो क सात ईस्बर नगरी दुत आखरी सात म्हामार्या क सागै हा। क्युं क आकै होबा क सागैई परमेसर को परकोप बी पूरो होज्यासी।
इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।
म उपर अकास म चमत्कार अर निचै धरती प अचरजभर्या काम करस्युं। बा दिना म लोय, लाय अर धुँआ को बादळ होसी। परबु क पाछो आबा का बि म्हान अर मेमाभर्या दिन क आबाऊँ पेली
बि टेम अकास म मिनख का बेटा की आबा की सेलाणी दिखसी, जणा धरती का सगळा कूणबा का मिनख छाती पिटसी अर मिनख का बेटानै मेमा अर सक्ति क सागै बादळा म आतो देखसी।
बा सात तारा, जिनै तू मेरै दाया हात म देख्यो हो अर बा सात सोना का दिपदाना को भेद ओ ह क बे सात तारा बिस्वासी मंडळ्या का सात ईस्बर नगरी दुतानै दिखावै अर बे सात दिपदान सात बिस्वासी मंडळ्यानै दिखावै ह।
क्युं क जंय्यां परमेसर थारी चिंत्या करै ह बंय्यांई म बी थारी चिंत्या करूं हूँ अर थे पबितर कुंआरी छोरी की जंय्यां हो जिकी सगाई म मसी क सागै करबा को करार कर दिओ हूँ।