जिऊँ थे परबु जंय्यां चावै ह बंय्यां जी सको अर हर बाता म सदाई परबु मसीनै राजी राख सको। थारै जीवन म भला कामा का फळ लागै अर थे परमेसर का ज्ञान म दिन-दिन बढता रह्यो।
पण इब थानै पाप का बंदणाऊँ छुटा लिओ गयो ह, अर थे परमेसर का दास बणगा हो, जणा जखी खेती थे काटर्या हो बा थानै पबितरता म लेज्यावै ह जिको आखरी फळ अजर-अमर जीवन ह।
पण थे अंय्यां का मिनख कोनी हो। थे तो परमेसर का टाळेड़ा खास मिनख हो। थे स्याही याजका की टोळी अर पबितर कूणबो हो। एक कूणबो जखो परमेसरऊँ निकळ्यो ह। परमेसर थानै अँधकारऊँ ताजूबभर्या च्यानणा म ल्यायो ह। जणा इब थानै चाए क थे बिकी ताजूबभरी बाता को जखी बो करी ह, हेलो पाड़ो। पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह,
जणा इब थे बी जीवता भाठा की जंय्यां हो, जाऊँ परमेसर आपको आत्मिक घर बणार्यो ह। थे पबितर याजक बी हो, जखा आपका आत्मिक चढावानै ईसु मसी क जरिए परमेसरनै राजी करबा ताँई चढाओ हो।