51 अर बो बाकन न्याव प गयो अर भाळ थमगी अर बे ताजूब करबा लाग्या।
ईसु खड़्यो होर तौफाननै दकाल्यो अर झालनै ओडायो, “थमज्या” अर तौफान थमग्यो अर बठै सक्यु स्यांत होगो।
जणा बे बिनै राजी मनऊँ जंय्यांई न्याव म चढाया, चढाताई न्याव किनारा पुगगी।
लोग ताजूब कर बोलबा लाग्या, “ईसु भलो-भलोई करै, अठै ताँई क बो बोळानै सुणबा अर गुँगानै बोलबा की सक्ति देवै ह।”
बे न्याव म चढर उजाड़ म चलेग्या।
अर बा नानी छोरी तावळिसी खड़ी होगी अर अठिनै-बठिनै चालबा-फिरबा लागी। (बा छोरी बारा बरस की ही) बे बिनै देखर ताजूब म पड़गा।
बे डरग्या अर आपसरी म बुजबा लाग्या, “ओ कूण ह? जिको खयो हवा अर पाणी बी मानै ह।”
अर बो खड़्यो होर तावळोसो आपहाळी खाटलीनै उठार सगळा की आँख्या क आगैई चलेगो। अंय्यां को काम देखर बाकै ताजूब होयो अर बे आ बोलर परमेसर की जे-जैकार करी क, “म्हें अंय्यां को कार कदैई कोनी देख्या।”
इ बातऊँ सगळा मिनख चोरंगा होगा। अर आपसरी म बुजबा लाग्या, “आ बेधड़क सीखाबाळी नई सीख काँई ह? अर ओ सूगली ओपरी बलायनै बी अधिकार क सागै ओडावै ह, अर बे इको खयो मानै ह।”
आ सुणर ईसुनै बि मिनख प ताजूब होयो अर बि भीड़ऊँ बोल्यो जखी बाकै गेल आरी ही, “म थानै सची खेऊँ हूँ इ जंय्यांको पक्को बिस्वास तो म इजरायल का मिनखा म बी कोनी देख्यो।