5 अर क्युंक बीज कांकरा म पड़्या अर बानै चाए जत्ती माटी कोनी मिली जि बजेऊँ बे तावळाई निपज्या।
कांकरा प पड़बाळा बीज बे हीं जखा बचन सुणर बिनै राजी होर मानली। पण बाकै मना म बो गेराई कोनी पकड़ै बे थोड़ी देर ताँई बिस्वास करीं पण जद बानै बिचास्यो जावै जणा बे ओटा सरक ज्यावै।
अर क्युंक कांकरा म जार पड़्या बे उग्या तो सई पण नमी नइ मिलबा की बजेऊँ बळगा।
अर जखा बीज कांकरा म पड़्या बे बा मिनखानै परगट करै जखा बचनानै राजी होर तावळासा मानै ह,
अर जद बो बीज बोबा लाग्यो, जणा क्युंक बीज गेला क सारै पड़्या अर चिड़कल्या बानै चूगलेगी।
पण सूरज उगताई तावड़ीऊँ बळगा क्युं क बे जड़ कोनी पकड़्या।