3 ईसु टुंडा मिनखऊँ बोल्यो, “मिनखा क मांय खड़्यो हो।”
जदकी मसी काया म दुख भोग्यो जणा थे बी बिकी लीक प चालता होया जीवन जीओ, क्युं क जखो काया म दुख भोग्यो बिनै पापऊँ छुटकारो मिलगो।
अर म साकळा म बंदर्यो हूँ। इ बजेऊँई परबु म बिस्वास राखबाळा घणकराक भाईड़ानै घणीसारी हिमत मिली ह, अर बे चोखा समचारनै बेधड़क होर सुणार्या हीं।
जणा आपानै चाए क जीज्यानऊँ भला काम करबा म लाग्या रेह्वां। जिऊँ ठिक टेम आबा प आपानै बिको फळ मिलै।
इ ताँई मेरा लाडला बिस्वास्यो, बिस्वास म मजबूत बण्या रेह्ओ अर जमाई संका मना करो। अर परबु का काम म खुदनै लगाया राखो। क्युं क थे जाणो हो क परबु ताँई करेड़ो काम बेकार कोनी जावै।
आ जरूरी ह क जखो मनै भेज्यो, बिका काम आपा दिन-दिनऊँ करल्या क्युं क रात होबाळी ह जद कोई काम कोनी करसी।
पण बो तो बाकै मना की बात जाणतोई हो जणा बो बि टुंडा मिनखऊँ बोल्यो, “खड़्यो हो अर सकै सामै आज्या” अर खेताई बो खड़्यो होगो।
बठै एक मिनख हो बिकै एक हात क हवा भेगी ही, बठै क्युंक मिनख हा बे ईसु प दोस लगाबा ताँई बुज्या, “अरामहाळा दिन खिनै निरोगो करबो ठिक ह के?”
क्युंक मिनख ईसु प दोस लगाबा की ताक म बेठ्या हा। बे देखबो चावा हा क ईसु बि मिनखनै अरामहाळा दिन निरोगो करै क कोनी करै।
अर ईसु बाऊँ बुजबा लाग्यो, “चोखो काँई ह? अरामहाळा दिन भलो करबो क बुरो करबो? कोईनै बचाबो क मारबो?” पण बाकी बोलती बंद होगी।