11 जखा मिनखा म सूगली ओपरी बलाय होती बे बिनै देखताई बिकै पगा म धोक खाता अर सूगली ओपरी बलाय चिलाटी घालर बोलती, “तू परमेसर को बेटो ह।”
अर बामैऊँ घणकराक मऊँ ओपरी बलाय अंय्यां चिलाटी मारती निकळगी क, “तू परमेसर को बेटो ह।” पण ईसु बानै दकालतो अर बोलबा कोनी देतो, क्युं क बे जाणती ही की ओ मसी ह।
ईसुनै देखर बो बिका पगा म पड़गो अर जोर-जोरऊँ बार घालतो बोल्यो, “थारो म्हारो काँई लेणदेण? ओ परमपिता परमेसर का बेटा ईसु म थारै हात जोड़ूँ मनै दिन मना घालै।”
तू बिस्वास करै ह क एकई परमेसर ह। चोखी बात ह! पण ओ बिस्वास तो ओपरी बलाय बी करै ह अर धुजै ह।
बे जोरऊँ बोल्या, “हे परमेसर का बेटा, थारो म्हारो काँई लेणदेण? के थे थारा टेमऊँ पेल्याई म्हानै नास करबा आया हो?”
जणा बिचास्बाळो सेतान बिकन आर ओडायो, “ज तू परमेसर को बेटो ह जणा आ भाठाऊँ बोल क रोटी बण जावै।”
जणा बा म्हारै गेल आर कूकबा लागी की, “अ मिनख सचा परमेसर का दास हीं जखा थानै छुटकारा को गेलो दिखावीं हीं।”
इ ताँई बे ओपरी बलाय बाऊँ अरदास कर बोली, “ज थे म्हानै आमऊँ काडो हो जणा बा सूल्डा का रेवड़ म भेज द्यो।”
अर बिऊँ बोल्यो, “ज तू सचमई परमेसर को बेटो ह जणा अठैऊँ तळै कुदज्या।” क्युं क पबितर सास्तर म मांडेड़ो ह क, “परमेसर आपका ईस्बर नगरी दुतानै हुकम देसी, अर तेरा पगा म कांकरो गडै इऊँ पेलीई बे तनै हात्युहात बोचलेसी।”
अर न्याव म जत्ता बी मिनख हा बे सगळा बाकी जे-जैकार करता होया बानै खेबा लाग्या, “थे सचमई परमेसर का बेटा हो।”
परमेसर का बेटा ईसु मसी को चोखो समचार अंय्यां चालू होयो।
अर ज थारै मऊँ कोई भूखो होवै तो बो आपकै घरा जार खाले, जिऊँ थारो भेळो होबो थारै ताँई स्यामत की बजै नइ बणै। अर जखी बाता रेह्गी बानै म आर ठिक करस्युं।