1 दो दिना क पाछै फसै को त्युंहार अर बिना खमिर की रोटी को त्युंहार आबाळो हो। परधान याजक अर सास्तरी ईसुनै धोकाऊँ पकड़र मारबा की साजिस घड़र्या हा।
फसै का त्युंहार क पेलीई ईसु आ जा'णर क, “मेर ताँई बा घड़ी आगी जद म इ दुनियानै तजर मेरा परम-पिता कनै जाऊँ।” बो धरती प जत्ता बी बिका हा बाऊँ आखरी ताँई एकसोई परेम करतो रिह्यो।
जणा फरिसी अर परधान याजक, सभा बुलाई अर बोल्या, “आपानै काँई करनो चाए? ओ मिनख तो बोळा चमत्कार करर्यो ह!
जणा बे फरिसी बठैऊँ चलेग्या अर ईसुनै कंय्यांसिक मारां इकी साजिस रचबा लाग्या।
इ ताँई जद थे दान द्यो जणा बिको ढींढोरो मना पिटज्यो, जंय्यां क ढोंगी मिनख अरदास करबाळी झघा अर गळी-कुचळ्या म खुदकी मिनखाऊँ बडाई कराबा ताँई करै ह। म थारूँ सची बोलुँ हूँ बानै बाको फळ पेली मिलगो।
पण बे आपसरी म खेबा लाग्या, “आपा ईसुनै त्युंहार क दिना म कोनी मारां। आपा त्युंहार क दिना म इनै मारां जणा के बेरो जनता भड़क जावै।”
बिना खमिर की रोटी हाळै त्युंहार क पेलड़ा दिन जद फसै का त्युंहार प लल्डी का बच्या की बलि दि जाती ही बि दिन चेला ईसुनै बुज्या, “तू कठै चावै ह क म्हें तेरै ताँई फसै की रोटी खाबा की त्यारी करां?”
अर बो बिनै पकड़र कोठड़ी म बंद करवार बिपै च्यार-च्यार सिपाईड़ा का च्यार पेरा बिठा दिओ, अर मन म करी की फसै का त्युंहार क पाछै बिनै मिनखा क सामै ल्यावै।