34 ईसु बा रोगलानै निरोगो कर्यो जखा भात-भात की पिड़ा म हा। अर ओपरी बलाय बी काडी। अर बो बा ओपरी बलायनै बोलबा कोनी देतो हो क्युं क बे बिनै जाणै ही।
अर बामैऊँ घणकराक मऊँ ओपरी बलाय अंय्यां चिलाटी मारती निकळगी क, “तू परमेसर को बेटो ह।” पण ईसु बानै दकालतो अर बोलबा कोनी देतो, क्युं क बे जाणती ही की ओ मसी ह।
पण बो बानै जोर देर चेतायो, “थे मनै परगट मना करो।”
ईसु गलिल नगरी की सगळी झघा म घूमतो होयो अर अरदास करबाळी झघा म परमेसर का राज का चोखा समचार क बारां म बतातो अर लोगा का रोग अर कमजोरीनै दूर करतो रिह्यो।
बिकै अंय्यां बोलताई ईसु बिनै दकाल्यो अर बिनै खयो, “तू चुपचाली रेह अर इमैऊँ बारनै निकळज्या।”
सगळा सिरीया देस म बिकी चरचा फेलगी अर लोग सगळा रोगलानै जखा भात-भात का रोगाऊँ रोगला हा, जखा पिड़ा म पड़्या हा, फेंट होईड़ा, जामै दोरा आता हा अर हवा भेयड़ा मिनखानै बिकन ल्याया अर बो बा सगळानै निरोगो कर दिओ।