44 जणा बा गेलऊँ जार ईसु का कुर्ता की कोर क हात लगाई अर हात लगाताई बिको लोय भेबो थमगो।
अर अठै ताँई जद लोग बिकी काया क अड़ेड़ा रूमाल अर गमछो रोगला प गेरता जणा बे निरोगा होज्याता अर ओपरी बलाय भाग जाया करती ही।
पण जखो मिनख निरोगो होयो हो बो ईसुनै कोनी जाणतो हो, बि झघा बोळी भीड़ ही अर ईसु बठैऊँ चलेगो हो।
अत्तो खेर बो बिका माथा प आपको हात धर्यो। अर धरताई बा सिदी होगी अर नाचती गाती परमेसर को गुणगान गाबा लागगी।
बा बाकै गेलऊँ आर बाका पगा कनै खड़ी होगी। अर बा रोती जाय, अर आपका आसुआऊँ बाका पग धोती जाय, पग धोर आपका बाळाऊँ पगानै पु'छर पग पकड़ लिआ अर बि ईतरनै बिका पगा प उंदका दिनी।
ईसु जि गाँव, नगरी अर बसत्या म जातो हो लोग बठैई रोगलानै बजारा म ल्यार बिऊँ अरदास करता हा क बो बानै आपका गाबा की कोर क हात अड़ाबा दे अर जत्ता बी बिकै हात अड़ाता हा बे निरोगा होज्याता हा।
ईसुनै बापै तरस आयो अर बे बाकी आँख्या क हात अड़ायो अर बे जदकी जदई देखबा लाग्या। अर ईसु क गेल होलिआ।
आ सुणर ईसु बिपै हात धर बिऊँ खयो, “म चाऊँ हूँ क तेरो कोढ धुपज्या!” अर जदकी जदई बिको कोढ धुपगो।
भेजेड़ा चेला जोक्यु कर्या हा बिको नतिजो ओ होयो क लोग रोगलानै सड़का प खाट अर बिछावणा बिछार बापै सुवा देता क्युं क जद पतरस बठिकी जावै जणा बिकी छाया बापै पड़ सकै।
बठै एक लूगाई ही जिकै बारा बरसाऊँ न्याह्णी को रोग हो। बा ईसु क गेलनै आर बाका कुर्ता की कोर क हात अड़ा दिनी।
अर बठैई एक लूगाई बी ही जिकी बारा बरसाऊँ न्याह्णी थमरी कोनी ही अर जोक्यु बी बिकन हो बिनै बा बेदानै बोया बेठी ही अर बिनै कोईबी निरोगो कोनी कर सक्यो।
जणा ईसु बुज्यो, “मेरै कूण हात अड़ायो?” जद सगळा नटगा जणा पतरस बोल्यो, “म्हराज भीड़ की भीड़ तो थार प टूटर पड़री ह।”