इ ताँई बिनै हर बात म मिनखा जंय्यां को बणायो गयो, जिऊँ बो परमेसर की सेवा करबा ताँई दया करबाळो अर बिस्वास जोगो म्हायाजक बणै। अर मिनखा को परमेसरऊँ ओज्यु मेळ कराबा ताँई बलि होवै।
बे जंय्यांई नगरी का दरूजा प पुग्याक, जणा देख्या क बठिकी एक अरथी जारी ही, अर बो एक खाली होईड़ी को एकलोतो बेटो हो जि बजेऊँ नगरी का घणकराक बिका दाग म सामिल हा।
एक दिन अंय्यां होयो क ईसु एक झघा अरदास करर्यो हो। जद बो अरदास कर हट्योक जणा बिका चेला मऊँ एक बोल्यो, “परबु म्हानै बी आ अरदास करबो सीखाओ। जंय्यां की बतिस्मो देबाळो यहून्ना आपका चेलानै सीखायो हो।”
जणा ईसु बिऊँ बोल्यो, “थे फरिसी हो जखा थाळी कचोळानै बारनै-बारनैऊँ तो मांजो हो। पण बो मांयनैऊँ तो गंदो को गंदो रेह बंय्यांई हात धोया काँई जद थारै मांयनै लालच अर बुराई भरी पड़ी ह।
परबु कह्या, “म थारूँ बोलुँ हूँ ज थारै म राई क दाणा जत्तो बी बिस्वास होतो तो थे, इ सेसुत का दरख्तऊँ बोलता जड़ समेत उपड़'र समदर म लागज्या, जणा बो थारी बात मान ज्यातो।
पण जक्कई ह जखो भापड़ो खड़्यो होर परबुऊँ बोल्यो, “ओ म्हराज मेर कनै जत्ती बी धन-दोलत ह बिको आदो म गरीबा म बाट देस्युँ अर ज बेईमानीऊँ कोई भाईड़ा को क्युं बी दाब लिओ हो जणा म बिको बिनै चोगुणो पाछो दे देस्युँ।”