1 मिनखानै आपहाळी सुणाबा क पाछै ईसु कफरनूम गयो।
पण जखो सुणर कोनी मानै बो बि मिनख की जंय्यां ह जखो माटी प बिना निम क घर चिण्यो अर जद पाणी की धार लागी जणा बो हात्युहात तबा होगो अर सक्यु ढेग्यो।”