23 सोरो काँई ह? ओ खेबो क, ‘तेरा पाप धुपगा’ नहिस, ‘खड़्यो हो अर डोल फिर।’
सोरो काँई ह, इ हवा भेयड़ानै ओ खेबो क तेरा पाप धुपगा। नहिस ओ ओडाबो क खड़्यो हो अर तेरी खाटली उठार चाल पड़।
सोरो काँई ह? के अंय्यां ओडाबो ‘तेरा पाप धुपगा’ नहिस अंय्यां ओडाबो, ‘खड़्यो होर डोल-फिर?’
जणा लोग एक भाळ भेयड़ा मिनखनै खाटली म घालर बाकन ल्याया। ईसु बाका बिस्वासनै देखर बि हवा भेयड़ा मिनखनै ओडायो, “हिमत राख, तेरा पाप धुपगा!”
ईसु बाकी मना की बात जाणगो अर खयो, “थे अंय्यां थारै मना म क्युंर-क्युं क्याले सोचो हो।
पण इ ताँई क थे जाणल्यो क मिनख का बेटानै धरती प पाप धोबा को बी हक मिलेड़ो ह। अर म तेरूँ बोलुँ हूँ खड़्यो हो अर तेरी गुद्ड़ी लेर तेरै घरा चल्योजा।”
जणा ईसु बि लूगाईऊँ बोल्या, “तेरा पाप धुपगा हीं।”