22 ईसु बाकी मना की बात जाणगो अर खयो, “थे अंय्यां थारै मना म क्युंर-क्युं क्याले सोचो हो।
जणा बो बानै बोल्यो, “थे क्याले चित उठा राख्या हो? अर थारा मना म ओ भेम कठैऊँ आग्यो?
जणा पतरस बिऊँ बोल्यो, “हनन्या तेरा मन प सेतान कंय्यां कबजो कर लिओ क तू जमीन क बिकबाऊँ मिल्या पिसा म सक्यु राख'र पबितर आत्माऊँ झूठ बोलगो।
ईसु बाकी इ बातनै भापगो अर बाऊँ बोल्यो, “थे आपसरी म अंय्यां क्युं सोचो हो क म्हारै कनै खमिर हाळी रोटी कोनी ह? थारै हालबी क्युंई कोनी पलै पड़ी? थारी मती क्युं बंदगी।
ईसु बाकी हिया की बातानै जा'णर बाऊँ बोल्यो, “जि राजपाट म फूट पड़ज्या जणा बिको नास होज्यावै ह। अर जि नगरी नहिस घर म फूट पड़ज्या जणा बो कंय्यां बस्यो रेह सकै ह?
ईसु बाकी हिया की बातानै जा'णर बाऊँ बोल्यो, “थे थारा हिया म बुरो क्युं सोचो हो?
म बिका टाबरानै मार गेरस्युं। जणा सगळी बिस्वासी मंडळ्या आ जाण ज्यासी क म हिया अर बुदीनै जाणबाळो हूँ। अर म हरेकनै बाका करमा गेल बदलो देस्युँ।
क्युं क परमेसर को बचन जिंदो अर काम करबाळो ह। बो दोधारी तलवारऊँ बी बेत्ती पेनो ह। परमेसर को बचन आत्मा, पिराण, जोड़ अर गुली म जार बानै न्यारो-न्यारो कर सकै ह। अर ओ हिया का बिचारानै अर मनस्यानै बिचासै ह।
ईसु बाकी चाल समजगो अर बठैऊँ चलेगो। पण भीड़ बाकै गेल होलिनी। ईसु सगळा रोगलानै निरोगो कर्यो।
जणा सास्तरी अर फरिसी आपसरी म बुजबा लाग्या क, “ओ पाप धोबाळो कूण होवै ह पाप तो परमेसरई धो सकै ह जणा ओ क्युं परमेसर की बुराई करै ह।”
सोरो काँई ह? ओ खेबो क, ‘तेरा पाप धुपगा’ नहिस, ‘खड़्यो हो अर डोल फिर।’