12 जद ईसु एक नगरी म हो, जणा बठै एक आदमी हो जिकै कोढ होर्यो हो, अर बो ईसुनै देखताई बिकै पगा म पड़गो अर हात जो'ड़र खेबा लाग्यो, “म्हराज, ज थे चाओ तो मेरो कोढ धो सको हो।”
बो मुंडावाणी ईसु का पगा म पड़गो अर बिको जेकारो लगाबा लागगो। अर बो एक सामरी हो।
अर जद ईसु घर क मांयनै बड़गा जणा बे मिनख बी बाकन गया। बानै देखर ईसु बाऊँ बुज्यो, “के थानै बिस्वास ह क म थानै ओज्यु आँख्या दे सकूँ हूँ?” बे बोल्या, “हाँ म्हराज!”
अर बिकै जरिए जखो बी परमेसर क कनै जावै ह, बाको बो पूरो-पूरो छुटकारो कर सकै ह। क्युं क बो बाकै ताँई अरदास करबा ताँई सदाई जिंदो ह।
जद ईसु बेतनिया म समोन क घरा हो। ओ बोई समोन ह जिको कोढ ईसु धोयो हो।
अरदास करतो बोल्यो, “मेरी नानी छोरी मरबाळी ह, म तेरूँ हात जोड़ खेऊँ हूँ मेरै सागै चालर तेरो हात बिपै धरदे जिऊँ बा बच जावै।”
जणा ईसु बिपै हात धर बिऊँ खयो, “म चाऊँ हूँ क तेरो कोढ धुपज्या।” अत्तो खेताई बिको कोढ धुपगो।