4 बे खड़ी-खड़ी सोचबा लागी क, “ईसु की लास कठै गई,” अत्ती बारां मई बाकन दो आदमी आर खड़्या होगा जाका गाबा भळका मारै हा।
बे बेगीसी कबर क मांयनै जार देखी क एक मोट्यार धोळा गाबा पेर्या दाया नाकै बेठ्यो हो अर बे बिनै देखर उकचुक होगी।
अर बे बिनै जातानै एकटोर आसमान कानि देखर्या हा जणा अत्ता मई दो मिनख एकदम धोळा गाबा म बाकन आर खड़्या होगा।
अर परबु को एक ईस्बर नगरी दुत बाकै सारै आर खड़्यो होगो अर बाकै च्यारूमेर परबु की मेमा को तेज चमक्यो जिऊँ बे डर क मारै धुजबा लागगा।
जणा बे बानै देखर डर क मारी धरती म निची घूण घाली। बे दोन्यु जणा बाऊँ कह्या, “जखो जिंदो ह बिनै मरेड़ा म क्युं ढुंढो हो?
अर बठै चाणचुकई के होयो क परबु को एक ईस्बर नगरी दुत बि कोठड़ी म परगट होयो। जिऊँ बि कोठड़ी म जोरको च्यानणो होगो अर बो पतरस की पासड़्या प हात धर बिनै जगार बोल्यो, “बेगोसो खड़्यो हो।” अत्ता मई बिकै हातऊँ साँकळा खुलर पड़गी।
कोई कोनी नट सकै क, भगती को भेद कंय्यां को म्हान ह, बो जखो मिनख जूण म परगट होयो, पबितर आत्मा जिनै धरमी बतायो, अर ईस्बर नगरी दुत जिनै देख्या, देस-देस म बिको परचार कर्यो गयो, जगत म बिपै बिस्वास कर्यो गयो, अर ईस्बर नगरी म उठा लिओ गयो।