43 जणा बठै बिकै सामै एक ईस्बर नगरी दुत परगट होयो अर बिनै हिमत बंधायो।
जणा सेतान बिकनऊँ चलेगो अर, ईस्बर नगरी दुत आर बिकी देखभाळ करबा लाग्या।
इ ताँई सगळा ईस्बर नगरी दुत छुटकारो पाबाळा मिनखा की सेवा करबा ताँई भेजेड़ी आत्मा हीं।
के थे कोनी जाणो म मेरा परम-पितानै मदद करबा ताँई बुला सकूँ हूँ। अर बो ईस्बर नगरी दुता की बारा सेनाऊँ बी बेत्ती मेरै ताँई भेज देसी।
अर जद परमेसर आपका पेलीपोत का बेटानै जगत म भेज्यो ह, जणा बो बोलै ह क, “सगळा ईस्बर नगरी दुत बिकै आगै धोक खावै।”
कोई कोनी नट सकै क, भगती को भेद कंय्यां को म्हान ह, बो जखो मिनख जूण म परगट होयो, पबितर आत्मा जिनै धरमी बतायो, अर ईस्बर नगरी दुत जिनै देख्या, देस-देस म बिको परचार कर्यो गयो, जगत म बिपै बिस्वास कर्यो गयो, अर ईस्बर नगरी म उठा लिओ गयो।
पण म तेरै ताँई परमेसरऊँ अरदास करी ह की तेरो बिस्वास बण्यो रेह्वै अर जद तू पाछो जीवन का गेला प आवै जणा तेरा भाई-भाणानै बिस्वास म पक्को करजे।”
अर बिऊँ बोल्यो, “ज तू सचमई परमेसर को बेटो ह जणा अठैऊँ तळै कुदज्या।” क्युं क पबितर सास्तर म मांडेड़ो ह क, “परमेसर आपका ईस्बर नगरी दुतानै हुकम देसी, अर तेरा पगा म कांकरो गडै इऊँ पेलीई बे तनै हात्युहात बोचलेसी।”
इ ताँई बिनै हर बात म मिनखा जंय्यां को बणायो गयो, जिऊँ बो परमेसर की सेवा करबा ताँई दया करबाळो अर बिस्वास जोगो म्हायाजक बणै। अर मिनखा को परमेसरऊँ ओज्यु मेळ कराबा ताँई बलि होवै।
क्युं क दिन बठै रेह्र बो बठैऊँ बिदा होर गलातिया अर फरूगिया ठिकाणा म सगळा चेला-चपाट्यानै समाळतो फिर्यो।
अर चेलानै समजाता अर हिमत बंधाता हा क, “बिस्वास म बण्या रेह्ओ अर परमेसर का राज म बड़बा ताँई आपानै बोळा दुख भोगणा पड़सी।”