34 जणा ईसु बोल्यो, “मेरी बात सुण जद ताँई तू तीन बार मेरै ताँई कोनी नट देसी आज मुरगो बांग कोनी देसी।”
ईसु बिऊँ बोल्यो, “के तू साच्याई मेर ताँई पिराण दे सकै ह? पण म तेरूँ साची बोलर्यो हूँ, मुरगा क बांग देबाऊँ पेली तीन बार तू मनै पिछाण्बाऊँ मना कर देसी।”
ईसु पतरस की इ बातनै सुणर बिऊँ बोल्यो, “म तनै सची खेऊँ हूँ आज की रातई मुरगा क दो बार बांग देबाऊँ पेल्या तू तीन बार मनै पिछाण्बाऊँ मना करसी।”
ईसु बिऊँ खयो, “म तनै सची खेऊँ हूँ आज रात मुरगा क बांग देबाऊँ पेल्या तू तीन बार मेरै बारां म खेसी क, ‘म इनै कोनी जाणू।’”
जणा पतरस सोगन खार बोल्यो, “म बि मिनखनै कोनी जाणू ज म बिनै जाणू तो परमेसर मनै सजा देवै।” अत्ता मई मुरगो बांग दिनी।
जणा पतरस ओज्यु नट्यो अर नटता क सागैई मुरगो बांग दिनी।
पतरस बोल्यो, “परबु म तेरै सागै जेळ जाबा अर मरबानै बी त्यार हूँ।”
इकै पाछै बो आपका चेलाऊँ बुज्यो, “म जद थानै बिना बटूआ, झोळा अर चपल्या क भेज्यो जणा थानै क्युं चिज की कमी पड़ी ही के?” बे कह्या, “ख्याकीई कमी कोनी होई।”
जणा ईसु बिनै आपकी नाड़ घूमार देख्यो। अर देख ताँई पतरसनै परबु की बोलेड़ी बात याद आगी क, “आज मुरगा क बांग देबाऊँ पेली तू मेरै ताँई तीन बार नटसी।”