44 “दाऊद खुद बिनै परबु बोलै, जणा बो बिकी ओलाद कंय्यां हो सकै ह?”
“म, ईसु खुद, थारै अर बिस्वासी मंडळी क कनै आ बाता की गुवाई देबा ताँई मेरा ईस्बर नगरी दुतनै भेज्यो हूँ। म दाऊद का कूणबा मऊँ हूँ। म भोर को चमकतो तारो हूँ।”
कोई कोनी नट सकै क, भगती को भेद कंय्यां को म्हान ह, बो जखो मिनख जूण म परगट होयो, पबितर आत्मा जिनै धरमी बतायो, अर ईस्बर नगरी दुत जिनै देख्या, देस-देस म बिको परचार कर्यो गयो, जगत म बिपै बिस्वास कर्यो गयो, अर ईस्बर नगरी म उठा लिओ गयो।
पण जद ते टेम आयो, जणा परमेसर आपका बेटानै भेज्यो बो लूगाईऊँ जलम्यो। अर बो नेम-कायदानै मान्यो,
बडका बाऊँई नातो राखी हीं, अर मिनख क जाया क रूप म मसी बामैऊँई जलम्यो जखो सगळा को परमेसर ह अर सदाई धने ह! आमीन।
क्युं क थानै बचाबाळा मसी परबु को जलम आज दाऊद की नगरी म होगो ह।
“देखो, एक कुंआरी छोरी आसऊँ होसी अर एक बेटो जलमसी अर बिको नाम इम्मानुअल राख्यो ज्यासी बिको मतबल ह परमेसर म्हारै सागै ह।”
जद ताँई म तेरा बेरीयानै तेरै पगा तळै को पाटो नइ कर द्युँ।’
सगळा सुणर्या हा जणा बो आपका चेलाऊँ बोल्यो,