23 ईसु बाकी बात पकड़ लिओ अर बाऊँ बोल्यो,
क्युं क परमेसर की नजर्या म इ दुनिया को ज्ञान बावळोपुणोई ह। अर पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह क, “परमेसर ज्ञान्यानै बाकीई चतराई म फसावै ह।”
परमेसरऊँ क्युंई लुखेड़ो कोनी। बिकी नजर्या म हरेक चिजा खुली अर उघाड़ी पड़ी ह जिकै सामै आपानै लेखो देणो ह।
अर नइ आपा मसीनै बिचासां, जंय्यांकी बामैऊँ कई कर्या अर बे साप क डसबाऊँ मरगा।
अर बे सगळा इ ताक म रेह्बा लागगा की बो कोई गळती करै। बे जासुसानै हक देर बिकै गेल छोड्या। जखा ईमानदारी ताँई जाण्या जाता हा। अर इ आस म की बे ईसुनै बाता म फसार बिऊँ क्युं गळत खुवा देसी। जिऊँ बे बिनै रोमी सरकार क हाता म सूप दिं।
पण बो तो बाकै मना की बात जाणतोई हो जणा बो बि टुंडा मिनखऊँ बोल्यो, “खड़्यो हो अर सकै सामै आज्या” अर खेताई बो खड़्यो होगो।
ईसु बाकी मना की बात जाणगो अर खयो, “थे अंय्यां थारै मना म क्युंर-क्युं क्याले सोचो हो।
बो बाकी चाल भापगो अर बाऊँ बोल्यो, “कपट्यो थे मनै क्युं बिचासो हो?
फरिसी अर सदुकी ईसु कनै आया। क्युं क बे ईसुनै फसाबो चावा हा इ ताँई बे ईसुनै बोल्या, “थानै परमेसर भेज्यो ह इ बातनै साबित करबा ताँई म्हानै कोई ईस्बर नगरी की सेलाणी दिखाओ।”
जणा थे म्हानै बताओ आपणा नेम-कायदा गेल रोमी समराटनै लगान देबो ठिक ह क कोनी?”
“मनै एक रोमी सरकार को सीक्को दिखाओ। अर इनै देखर बताओ इपै किको नाम अर सकल ह?” बे कह्या, “रोमी समराट की।”
अर बोल्यो, “सगळा छळ कपटऊँ भरेड़ा सेतान की ओलाद, भलाई का बेरी। तू परमेसर का सचा अर सिदा गेलानै तोड़बो मोड़बो कोनी छोडै के?”
जिऊँ आपा टाबरपुणो नइ करां। जिऊँ आपा मिनखा का ठगपुणा अर चतराईऊँ अर बाकी भंगराबाळी सीख म आर इनै-बिनै भटकता नइ फिरां।