49 जणा ईसु बाऊँ बोल्यो, “थे मनै क्याले ढुंढा हा? थानै बेरो कोनी के? मनै मेरा परम-पिता क घरा होणोई ह।”
क्युं क म मेरी इंछ्या नइ पण मनै भेजबाळा की इंछ्यानै पूरी करबा ताँई ईस्बर नगरीऊँ धरती प उतर्यो हूँ।
अर जखो मनै भेज्यो ह बो मेरै सागै ह। बो मनै ऐकलो कोनी छोडै, क्युं क म सदाई बोई करूं हूँ, जखो बिनै राजी करै ह।”
ईसु बाऊँ बोल्यो, “मेरी रोटी आ ह क, म मेरा भेजबाळा की इंछ्या मानू अर बिको काम पूरो करूं।
बिका माँ-बाप बिनै देखर भोचंगा होगा अर बिकी माँ बिऊँ बोली, “मेरा लाल तू म्हारै म आ काँई करी? तेरो बापू अर म तनै ढुंढता-ढुंढता हिरान होगा।”
पण ईसु बानै जुबाब दिओ, “मेरो परम-पिता कदैई काम करनो बंद कोनी करै, इ ताँई म बी काम करर्यो हूँ।”
ईसु मनदर म गयो अर बठै जत्ताबी बेचबाळा अर खरीदबाळा हा, बानै बठैऊँ बारनै काडबा लाग्यो। बो रिपीआ को लेणदेण करबाळा का पाटियानै बगा दिओ अर कबूतर बेचबाळा का तक्तानै उंदो कर दिओ।
आ जरूरी ह क जखो मनै भेज्यो, बिका काम आपा दिन-दिनऊँ करल्या क्युं क रात होबाळी ह जद कोई काम कोनी करसी।
“पण मेरै कनै एक ओर गुवा ह, जिकी गुवाई यहून्ना की गुवाईऊँ बढर ह। क्युं क परम-पिता जखो काम मनै करबा ताँई सूप्यो ह, जखा काम म करूं हूँ। बेई मेरै बारां म गुवाई देवीं ही क, परम-पिता मनै भेज्यो ह।