29 “परबु थे थारा कह्यानै पूरो कर्या हो इब थारो दास सुक-स्यांतीऊँ मर सकै ह।
जणा ईस्बर नगरीऊँ म ओ हेलो सुण्यो, “इनै मांडले: जखा इबऊँ परबु म मरी हीं बे भागहाळा हीं।” पबितर आत्मा खेवै ह, “हाँ क्युं क बे आपका कामाऊँ अराम पासी, अर बाका काम बाकै सागै ह।”
म आ दो मता म अळजर्यो हूँ। इ कायानै छोडर मसी क सागै रेह्बो तो म बोळो चाऊँ हूँ क्युं क ओ मेर ताँई घणोई चोखो ह;
अर पबितर आत्मा बिनै आ बता राखी ही क परबु का भेजेड़ा मसीनै देख्या बिना तनै मोत कोनी आवै।
जणा समोन बि टाबरनै आपकी गोद्या म लेर, परमेसर को गुणगान कर बोल्यो,
बे जोर-जोरऊँ हेलो पाड़र्या हा, “ओ पबितर अर सचा परबु, थे कद न्याय करस्यो? इ धरती का मिनखा को न्याय अर जखा म्हानै मार्या हा बानै कद सजा देस्यो?”