4 जणा बो ईसुनै देखबा ताँई भीड़ऊँ अगाऊ भागर ईसु, जि गेलाऊँ जाबाळो हो बि गेला म एक अंजीर का दरख्त प जार चढगो।
अर बठै भीड़ अत्ती जोरकी ही क बे मांयनै कोनी बड़ सक्या जणा बे छात प जार खपर्यो हटार खाटली समेतई बिनै ईसु क सामै निचै उतार दिओ।
परबु कह्या, “म थारूँ बोलुँ हूँ ज थारै म राई क दाणा जत्तो बी बिस्वास होतो तो थे, इ सेसुत का दरख्तऊँ बोलता जड़ समेत उपड़'र समदर म लागज्या, जणा बो थारी बात मान ज्यातो।
बो ईसुनै देखबा की तक म हो पण भापड़ो देख कोनी पार्यो, क्युं क भीड़ रेह्गी घणी अर बो रेह्गो बावन्यो।
जद ईसु बि दरख्त क कनै पुग्यो जणा बो बठै खड़्यो होर उपरनै देखर जक्कईऊँ बोल्यो, “जक्कई बेगोसो तळै उतर्या क्युं क आज म तेरै घराई बासो लेस्युं।”