34 जणा बे बोल्या, “परबुनै इकी जुर्त ह।”
बि टेम बिका चेला बा बातानै कोनी समज सक्या, पण जद ईसु मेमा म उठायो गयो जणा बाकै याद आई क, पबितर सास्तर म बिकै बारां म मांड्यो गयो जणाई बे मिनख बिकै सागै अंय्यां कर्या हा।
परमेसर बा मिनखानै परमेसर जंय्यां का खयो, जानै बिको बचन दिओ गयो अर आपा जाणा हां क पबितर सास्तर म मंडेड़ी बात कदैई झूठी कोनी होवै।
क्युं क थे आपणा परबु ईसु मसी की दयानै जाणो हो। बो सक्याको मालिक होर बी थारै ताँई गरीब बण्यो। जिऊँ थे बिकी गरीबी की बजेऊँ हर चिज का धणी बण सको।
जंय्यांई बे बिनै खोलर्या हा जणा बि गधेड़ी का बच्या का धणी बाऊँ बुज्या, “इ बच्यानै क्याले खोलो हो?”
अर बे बि गधेड़ी का बच्यानै ईसु कनै ल्याया अर आपका गाबा बिपै गेर बिपै ईसुनै बिठा दिआ।