21 क्युं क म डरगो हो, थे हो जखा अंय्यां का आदमी हो जखो थारो कोनी बिनै लेल्यो अर जखो थे कोनी बोयो बिनै काटल्यो।’
सगळा को न्याय करसी। बो बा सगळा मिनखानै जखा परमेसरनै कोनी मानी बाका बुरा करमा की सजा देसी, जखा बे कर्या हीं। परबु पक्काईऊँ परमेसरनै नइ मानबाळा मिनखानै बाका हरेक बुरा बोल ताँई सजा देसी जखा परबु बेई बे बोल्या ह।”
जखो मिनख परेम करै ह बो डरै कोनी क्युं क परेम डरनै दूर करै ह। डर को सागो सजाऊँ ह, इ ताँई जखोबी मिनख डरै ह बिमै परेम कदैई कोनी हो सकै।
क्युं क ज कोई नेम-कायदा का सगळा नियमानै मानै पण ज एक बी बात म चूक ज्यावै जणा बो नेम-कायदा का सगळा नियमानै तोड़बाळो बाजै।
परमेसर आपानै डर की आत्मा कोनी दि पण ताकत, परेम अर खुदनै काबू म राखबा की आत्मा दि ह।
क्युं क जखी आत्मा थानै दि गई ह, बा थानै ओज्यु दास बणाबा नहिस डराबा ताँई कोनी पण आपानै बिकी ओलाद बणाबा ताँई ह जिऊँ आपा “अब्बा, परम-पिता” खेर बुलावां हां।
काया प मन लगाबो तो परमेसरऊँ बेर बांदबो ह, क्युं क आ नइ तो परमेसर का नियमा प चालै अर नइ कदै चाल सकै।
इब तीसरो आर बोल्यो, ‘अ ल्यो थारी म्होर जिनै म बि दिन इ गमछा म आटी देर बांद लिनी ही।
जणा बो मालिक बिऊँ बोल्यो, ‘तू बुरो दास ह! म तेरा कह्या गेलई तेरै सागै करस्युं। तू जाणता बुजता क म टेडो आदमी हूँ जखो म कोनी धरूँ बिनै लेल्युँ अर जखो कोनी बोऊँ बिनै काट ल्युं।