15 “पण बो राजा बणर पाछो आपकै घरा आग्यो। अर आताई बो बा दासानै बुलायो जानै बो सोना की म्होर देर गयो हो क्युं क बो आ जाणबो चावै हो क बे बा म्होराऊँ क्यु कमाया हीं क कोनी।
अर जखो दास मार खाबा को काम कर्यो पण मालिक की इंछ्याऊँ अणजाण हो बिकै थोड़ी मारई पड़सी। जणाई तो म बोलुँ हूँ जिनै घणो दे राख्यो ह बिऊँ घणो माँगसी, अर जिनै बोळो सूप राख्यो ह बिऊँ बोळो लेसी।
बोळा दिना क पाछै बाको मालिक आयो। अर बाऊँ हिसाब-किताब माँगबा लाग्यो।
पण बिकी नगरी का दुसरा मिनख बिऊँ जळता-बळता हा बे बिकै गेल एक टोळी क हात आ खुवा भेज्यो की, ‘म्हें कोनी चावां क ओ म्हारै प राज करै।’
जणा पेलो आर बोल्यो, ‘मालिक थारी एक म्होरऊँ म दस म्होरा ओर कमाली।’