ईसु बाऊँ बोल्यो, “थे तो मिनखा म देख-दिखावा का धरमी हो। पण परमेसर तो थारा हियानै जाणै ह, क्युं क जखी चिज मिनखा की नजर्या म बोळी खास ह बिको परमेसर की नजर्या म काँई मोल?
आ देखर ईसुनै मिजमानी घालबाळो फरिसी आपका हिया म बिचार्यो, “ज ओ परमेसर की खेबाळो होतो जणा जाण ज्यातो क आकै हात अड़ाबाळी आ कूण ह? अर कंय्यांकी ह? ओ जाणज्यातो क आ पापण ह।”
बो फरिसी नाकैई खड़्यो होर अंय्यां खेर अरदास करबा लाग्यो, ‘परमेसर थारी जे हो, क म दुसरा की जंय्यां लोभी, दुसरा को बुरो करबाळो, कुकरमी कोनी अर नइ म इ चुंगी लेबाळा की जंय्यां हूँ।