12 जणा बठै बिनै एक गाँव म भेळाई दस कोढी मिल्या, बे बिऊँ परैई खड़्या हा।
जद ईसु एक नगरी म हो, जणा बठै एक आदमी हो जिकै कोढ होर्यो हो, अर बो ईसुनै देखताई बिकै पगा म पड़गो अर हात जो'ड़र खेबा लाग्यो, “म्हराज, ज थे चाओ तो मेरो कोढ धो सको हो।”
पण बो दुसरो जखो चुंगी लेबाळो हो बो दूर खड़्यो होर आपकी छाती कुट-कुटर खेबा लाग्यो, ‘परमेसर मेर प दया करो म पापी हूँ।’ बो खुदनै ईस्बर नगरी कानि मुंडो उठार देखबा जोगोई कोनी जाण्यो।