ईसु बाऊँ बोल्यो, “थे तो मिनखा म देख-दिखावा का धरमी हो। पण परमेसर तो थारा हियानै जाणै ह, क्युं क जखी चिज मिनखा की नजर्या म बोळी खास ह बिको परमेसर की नजर्या म काँई मोल?
बो आपका बापऊँ बोल्यो, ‘म बरसाऊँ थारी सेवा एक दास की जंय्यां करतो आर्यो हूँ, अर थारो अंय्यां को कोई हुकम कोनी जखो म कोनी मान्यो हो, इकै बावजुद बी थे मनै कदैई एक टाट को बच्योई कोनी दिओ की म बिनै मेरा भाईला क सागै मिलर खाऊँ।