8 “म थानै खेऊँ हूँ, जखो कोई मिनखा क सामै मनै मान लेसी। जणा म मिनख को बेटो बी परमेसर का ईस्बर नगरी दुता क सामै बिनै अपणा लेसी।
जखो बेटानै नकारै ह बो परम-पितानै बी नकारै ह, पण जखो बेटानै मानै ह बो बिकै सागै परम-पितानै बी मानै ह।
ज आपा थ्यावस क सागै दुख भोगस्यां, जणा आपा बिकै सागै राज बी करस्यां। ज आपा बिऊँ मुंडो फेरां, जणा बो बी आपणाऊँ मुंडो फेरसी।
म थारूँ बोलुँ हूँ ठिक अंय्यांई जद कोई पापी पापऊँ तौबा करै ह, जणा परमेसर का ईस्बर नगरी दुता क सामै खुसी मनाई जावै ह।”
म जाणू हूँ क, तू बठै रेह्वै ह जठै सेतान को सिंघासन ह। इकै वावजुद बी तू मेरै नाम प सचो बिस्वास करै ह। तेरी नगरी म सेतान को सिंघासन ह जठै मेरा बिस्वास जोगा दास अन्तिपासनै मार्यो गयो जणाबी तू मेर प बिस्वास करबो कोनी छोड्यो।
जखा दुख तनै भोगणा ह बाऊँ मना डर। क्युं क सेतान थारै मऊँ कयानै बिचासबा ताँई काळ-कोठड़ी म गेरसी अर थानै बठै दस दिना ताँई सताव भोगणो पड़सी। पण तू बिस्वास जोगो रेह्जे चाए तनै मोतई क्युं नइ आज्यावै। जणा म तनै तेरी जीत क रूप म अजर-अमर जीवन को मुकट देस्युँ।
बे बिकी इ बातनै सुणर बिऊँ बोल्यो, “गादड़ा की घुर अर अकास म उडबाळा पंछ्या का घुरस्ळा होवीं पण मिनख का बेटा को तो सीर लुखाबा को बी ठिकाणो कोनी।”