11 जद थानै पकड़र अरदास करबाळी झघा का परधान क सामै नहिस राजा अर अधिकारीया क सामै लेज्यावै। बि टेम थे चिंत्या मना करज्यो की थानै थारा बचाव म काँई बोलबो ह?
जणा ईसु आपका चेलाऊँ बोल्यो, “थे थारा जीव की चिंत्या करबो छोडद्यो क थे काँई खास्यो अर किऊँ थारी कायानै ढकस्यो?
इ ताँई म थानै खेऊँ हूँ, म थारै कनै परमेसर की खेबाळानै, बुदीमानानै अर गरूजीआनै भेजस्युं। पण थे बामैऊँ कया क तो अरदास करबाळी झघा म बेत मारस्यो, कयानै सतास्यो, कयानै सुळी प चढास्यो, कयानै मार गेरस्यो अर नगरी-नगरी थे बाको पिछो करस्यो।
“म थारूँ खेऊँ हूँ, थे थारा जीव की चिंत्या मना करज्यो की काँई खास्यो अर काँई पीस्यो? अर नइ काया की चिंत्या करज्यो की इनै किऊँ ढकस्युं? क्युं क गाबाऊँ काया अर रोट्याऊँ जीव बडो ह।
थारै म अंय्यां को कूण ह जखो चिंत्या कर खुदकी उमर म एक घड़ी बी बढा सकै?
गाबल्या की चिंत्या क्युं करो हो? रोई म उगबाळा रोईड़ा का बोजानै देखो बे कंय्यां खिल्या रेह्वै ह। बे नइ तो काम करीं अर नइ बे खुद ताँई गाबा सिवीं।
इ ताँई थे खाबा-पीबा की अर गाबा की चिंत्या मना करज्यो।
काल की चिंत्या मना करो, क्युं क काल ताँई काल किई चिंत्या घणी ह। अर हरेक दिन की चिंत्या बि दिन ताँई घणिई होवै ह।