53 अर जद ईसु बठैऊँ चलेगो जणा बे फरिसी अर सास्तरी बिऊँ बेर बांद लिआ अर बोळी बाता म बिऊँ उळजबा लागगा।
अर बो बुरी चाल कोनी चालै, अर खुदकी भलाई बी कोनी चावै, तावळोसो झाळ्या कोनी भरै, अर नइ बुराई को बदलो बुराईऊँ देवै।
इब क्युंक सदुकी ईसु कनै आया, सदुकी बे हा जखा मर्या पाछै जी उठबानै कोनी मान्या करता हा।
अर बे सगळा इ ताक म रेह्बा लागगा की बो कोई गळती करै। बे जासुसानै हक देर बिकै गेल छोड्या। जखा ईमानदारी ताँई जाण्या जाता हा। अर इ आस म की बे ईसुनै बाता म फसार बिऊँ क्युं गळत खुवा देसी। जिऊँ बे बिनै रोमी सरकार क हाता म सूप दिं।
सास्तरानै सीखाबाळो हाय ह थार प! थे थारा हात म ज्ञान हाळा घर का ताळा की ताळी तो लेली। पण खुदबी कोनी बड़्या अर नइ दुसरानै बड़बा दिआ।”
क्युं क बे हा जखा बिनै बिकिई बात म फसाबा की फिराक म हा।
“म बी सोच्यो हो, जोक्यु मेरूँ हो सकै बो म नासरत का ईसु नाम क खिलाप करूं।
इ ताँई म्हें तितूसनै बोल्या हा क जंय्यां बो दान भेळा करबा का कामनै थारै मांय सरू कर्यो हो, बिनै सूल पूरो करबा म थारी मदद करै।