25 अर बा पाछी आवै जणा बो बिनै भार्यो-झाड़्यो अर जच्यो-जचायो लाधै।
“जद कोई सूगली ओपरी बलाय मिनख मऊँ निकळै ह। जणा बा अराम ढुंढती उजाड़ म डोलै अर जद बिनै बठैबी अराम कोनी मिलै। जणा बा खेवै ह म मेरा पुराणीया घर म जिमैऊँ म आई हूँ पाछी चली जास्युं।
जणा बा जार खुदऊँ बी सात बुरी ओपरी बलायानै आपकै सागै कर बिकै मांयनै बड़ जावै। अर बि आदमी की दसा पेलड़ीऊँ घणी बुरी होज्यावै।”