6 थारा आसिरबाद जोगो ज कोई बि घर म होसीक जणा थारो आसिरबाद बिकै लागसी नहिस बो पाछो थारै कनै आज्यासी।
परबु जखो खुद स्यांती को दातार ह बो हर टेम थारै सागै रेह्वै अर थारा हर हाल म थानै स्यांती देवै।
जखा मेळमिलाप करावै ह, बे धारमिक्ता को फळ पावै ह।
कोईबी थानै बेकार की बाताऊँ धोको नइ देदे; क्युं क आ कामा की बजेऊँ परमेसर को परकोप बिका हुकमानै नइ मानबाळा प पड़ै ह।
खयो मानबाळा टाबरा की जंय्यां जीओ। पेली थारा जीवन प बुरी इंछ्या को जोर चालतो हो, बंय्यां इब थारा जीवन प बुरी इंछ्या को जोर मना चालबा द्यो।
अर जि घर म जाओ बिमै बड़ता पेलीई खिज्यो, ‘इ घर को भलो होवै।’
अर जोक्यु बे थानै दे, बिनै खा-पीर बठैई रेहज्यो, क्युं क ध्यानग्यानै ध्यानगी को हक ह। अर बासो लेबा ताँई घर-घर मना भटकज्यो।