41 जणा परबु बोल्यो, “मारथा सुण तू बोळी बातानै सोचै ह अर बाकी चिंत्या करै ह।
कोईबी बात की चिंत्या मना करो, पण परमेसर को सगळी बात ताँई दिलऊँ धनेवाद करता होया थानै जखो चाए ह बि ताँई बिऊँ अरदास अर बिणती कर माँगता रह्यो।
“इ ताँई चेता म रेह्वो, कदै अंय्यां नइ होज्या क थे तो लाग्या रेह्वो पीबा-खाबा अर आटा चून की चिंत्या म अर बो दिन थार प फंदा की जंय्यां आ पड़ै।
पण जीबा को घ्यार, मो-माया को लालच अर मन की बुरी बाता बाका हिया मई बचननै दबा देवै ह, इ ताँई बे बीज फळै कोनी।
जणा ईसु आपका चेलाऊँ बोल्यो, “थे थारा जीव की चिंत्या करबो छोडद्यो क थे काँई खास्यो अर किऊँ थारी कायानै ढकस्यो?
अर जखा बीज झाड़्या म पड़्या बिको मतबल ओ ह की बे मिनख जखा बचननै सुणी पण जद बे बापै चाली जणा चिंत्या, धन-दोलत अर जिंदगी का मजा बानै दबा देवै ह जिऊँ बे सूल कोनी फळै।
जद ईसु अर बिकाळा चेला आपका गेला जार्या हा, जणा बो एक गाँव म पुग्या। बठै एक मारथा नाम की लूगाई आपका घर म बिकी मनवार करी।
अर मारथा मिजमानी की करेड़ी त्यारी क बारां म चिंत्या म डूबेड़ी बठै आई अर बोली, “परबु मेरी भाणनै मेरो हात बटाबा ताँई खेओ, आ सगळो काम मेर पई गेर दिओ।”
बेतनिया नगरी म लाजर नाम को एक रोगलो मिनख आपकी भाणा मारथा अर मरीयम क सागै रिह्या करतो हो।
ईसु, मारथा बिकी भाण मरीयम अर लाजरऊँ प्यार-परेम राखतो हो।
बे बि ताँई रोटी बणाई, मारथा रोटी परोसरी ही। लाजर बी बाकै सागै बेठगो जखा ईसु क सागै रोटी खार्या हा।