जिऊँ थे इ जगत म रेह्बाळा कुटिचर अर पापी मिनखा म परमेसर का खरा अर बिना बलेम हाळा सायर टाबर बण सको। अर आसमान म तारा जंय्यां चिलकै ह बंय्यां थानै बी जगत का मिनखा म चिलकणो चाए,
ईसु बाऊँ बोल्यो, “थे तो मिनखा म देख-दिखावा का धरमी हो। पण परमेसर तो थारा हियानै जाणै ह, क्युं क जखी चिज मिनखा की नजर्या म बोळी खास ह बिको परमेसर की नजर्या म काँई मोल?