51 बो आपका हाताऊँ बडा-बडा काम कर बानै जखा आपका मन म गुमान करता हा निचो दिखायो।
परमेसरनै जाणता बुजता बी बे बिको परमेसर की जंय्यां आदरमान कोनी कर्यो अर नइ बिनै धनेवाद दिओ। बाकी सोच बेकार होगी अर बाका बेबुदी मन अँधकारऊँ भरगा।
इ बजेऊँ बिपै एक दिन मई बिपदा आ पड़सी। मोत, सोक, काळ बिपै पड़सी। अर आग बिनै बाळ गेरसी, क्युं क सऊँ सक्तिसाली परबु परमेसर बिको न्याय करसी।
अंय्यांई ओ जवानो थे बिस्वासी मंडळी का मुखिया क खया म चालो, थे छोटा बणर एक दुसरा की सेवा करो, क्युं क, “परमेसर गुमान करबाळा क खिलाप ह, पण जखो मिनख खुदनै छोटो बणावै ह बिकै उपर परबु दया करै ह।”
जणाई म्हें गुमान भरी बाता अर मतानै जखा परमेसर का ज्ञान क खिलाप ह नकारा हां, मसी की मानबा ताँई म्हें म्हारी सोचनै बस म राखां हां।