49 अत्तो बडो काम सऊँ सक्तिसाली परमेसर मेरै सागै कर्यो ह, इ बजेऊँ बिको नाम पबितर ह।
परमेसर सक्तिसाली ह अर आपणा म काम करबाळी बिकी सक्तिऊँ जखो बी आपा अरदास कर बिऊँ माँगा अर जत्तो सोचां हां बिऊँ बी बेत्ती बो कर सकै ह।
ओ परबु, बस थेई पबितर हो! देस-देस का मिनख थारै कनै आसी अर थारी जे-जैकार करसी। सगळा थारूँ डरसी अर थारो मान करसी, क्युं क थारी धारमिक्ता परगट होई ह।”
बा च्यारू जीवता पराण्या क छ: छ: पंख हा बाकै च्यारूमेर आँख्याई आँख्या ही, अठै ताँई बाकै पांखड़ा क तळै बी आँख्या ही अर बे रात-दिन एकई बात बोलता रेह्ता हा, “‘सऊँ सक्तिसाली परबु परमेसर पबितर, पबितर, पबितर ह,’ जखो हो, जखो ह, जखो आबाळो ह।”
जणा बो बानै हुकम दिओ अर बे सूगली ओपरी बलाय बि मिनख मऊँ निकळर बा सूल्डा क मांयनै जा रळी। सूल्डा करीब दो झार हा। बे सूल्डा डूँगर क उपरऊँई गुळगची खार दरिआव क मांयनै जार पड़्या अर डूबर मरगा।
क्युं क बो आपकी इ गरीबणी दासीनै याद कर्यो ह, अर इ मानऊँ राजी कर्यो ह, क इबऊँ लेर जुग-जुग का मिनख मनै भागहाळी खेसी,
अर बिनै मान देबाळा प बाकी दया बाकी पिड्या ताँई रेह्वै ह।