42 अर जोरऊँ बोली, “तू धरती की सगळी लूगाया म भागहाळी ह अर तेरै पेट को टाबर बी भागहाळो ह।
बे जोर-जोरऊँ कह्या, “धने ह बो राजा जखो परबु क नामऊँ आवै। ईस्बर नगरी म स्यांती अर परमेसर की जे-जैकार होवै।”
ईस्बर नगरी दुत बिकन आर बोल्यो, “राजी रेह, थार प परबु की म्हेर होई ह अर बे थारै सागै ह।”
क्युं क बो आपकी इ गरीबणी दासीनै याद कर्यो ह, अर इ मानऊँ राजी कर्यो ह, क इबऊँ लेर जुग-जुग का मिनख मनै भागहाळी खेसी,
आओ ल्यो आपा आपणी आँख्या ईसु प लगावां। जखो बिस्वास को मालिक अर बिनै निधान करबाळो ह। बो आगला सुक क बारां म सोचतो होयो बेजती होबा की चिंत्या कर्या बिना सुळी प दुख भोग्यो अर परमेसर क सिंघासन क दायणै जार बिराजगो।
बडका बाऊँई नातो राखी हीं, अर मिनख क जाया क रूप म मसी बामैऊँई जलम्यो जखो सगळा को परमेसर ह अर सदाई धने ह! आमीन।
जद इलिसीबा क काना म मरीयम को नमस्कार पड़्यो जणा इलिसीबा का पेट को टाबरियो उछळबा लाग्यो अर इलिसीबा पबितर आत्माऊँ भरगी।
मेरो अत्तो बडो भाग? क मेरै परबु की माँ मेरै कनै आई।