18 जणा जकरयाह ह जखो बि ईस्बर नगरी दुतऊँ खयो, “आ बात म कंय्यां मानू? क्युं क म तो बूडो-ठेरो हूँ अर मेरी लूगाई बी बूडी-ठेरी होगी।”
जणा मरीयम ईस्बर नगरी दुतऊँ बोली, “ओ कंय्यां हो सकै ह? हाल तो म कुंआरी हूँ।”
बाकै कोई आस-ओलाद तो ही कोनी, क्युं क इलिसीबा बांझड़ी ही अर बे दोन्यु बूडा हा।
बो चोखी तर्या जाणतो हो क बिकी काया सो बरस की बूडी मरियलसी होगी अर सारा बांझ ह, इकै बावजुद बी बिस्वास म बिना हाल्या