11 बि टेम का जकरयाहनै परबु का एक ईस्बर नगरी दुत को दरसाव होयो अर बो दुत धूप जळाबाळी बेदी का दाया नाकै खड़्यो हो
इकै पाछै छठो ईस्बर नगरी दुत आपकी तूताड़ी फूंकी। जणा म परमेसर क सामै सोना की बेदी का च्यारू कूणाऊँ उवाज आती सुणी।
इ ताँई सगळा ईस्बर नगरी दुत छुटकारो पाबाळा मिनखा की सेवा करबा ताँई भेजेड़ी आत्मा हीं।
पण जंय्यांई रात होई जणा ईस्बर नगरी दुत आर बि कोठड़ी का कुआड़ानै खोल दिओ अर बा भेजेड़ा चेलानै बारनै लेज्यार बाऊँ बोल्यो,
जणा बो ईस्बर नगरी दुत बाऊँ बोल्यो, “डरो मना म थानै चोखो समचार सुणाऊँ हूँ, जखो सगळा मिनखा ताँई होसी।
ईस्बर नगरी दुत बिकन आर बोल्यो, “राजी रेह, थार प परबु की म्हेर होई ह अर बे थारै सागै ह।”
जणा बो ईस्बर नगरी दुत हो जखो बिऊँ बोल्यो, “म हूँ जिबराइल जखो परमेसर क सामै तण्यो खड़्यो रेह्ऊँ हूँ। अर मनै ईस्बर तनै इ चोखा समचार को हेलो पाड़बा ताँई भेज्यो हो।
अर परबु को एक ईस्बर नगरी दुत बाकै सारै आर खड़्यो होगो अर बाकै च्यारूमेर परबु की मेमा को तेज चमक्यो जिऊँ बे डर क मारै धुजबा लागगा।