52 जणा बे बिनै जुबाब म बोल्या, “के तू बी तो गलिल को कोनी ह? सास्तरनै बाचर बेरो पाड़, परमेसर की खेबाळो गलिल म तो पैदा होबाऊँ रिह्यो।”
क्युंक बोलर्या हा, “ओ मसी ह!” पण क्युंक बोलर्या हा, “मसी गलिलऊँ थोड़ी आसी!
नतनएल बुज्यो, “नासरत! नासरतऊँ कोई चोखी चिज निकळ सकै ह के?” फलिपूस बोल्यो, “आर खुदई देखले।”
बे बिऊँ बोल्या, “तू तो पापऊँ जलम्यो ह, तू म्हानै काँई सीखावै ह ?” अर बे बिनै अरदास करबाळी झघाऊँ बारनै काड दिआ।
थे पबितर सास्तर का आंक बाचो हो, क्युं क थे सोचो हो क आ आंका म थानै अजर-अमर जीवन मिलसी। पण अ आंक बी मेरै बारां मई मांडेड़ा हीं।
जणा बे सगळा आप-आपकै घरा चलेगा।