44 क्युंक बिनै पकड़बो चावै हा, पण कोईबी बिकै हात कोनी घाल सक्यो।
जणा बे बिनै पकड़बा की कोसिस करबा लाग्या, पण कोई बिकै हात कोनी घाल सक्यो, क्युं क हाल बा घड़ी कोनी आई।
बि रात परबु बिनै दरसाव देर बोल्यो, “हिमत बांद अर जंय्यां तू मेरै बारां म अठै गुवाई दि ह, ठिक बंय्यांई तनै रोम म बी देणी पड़सी।”
आ सीख ईसु मनदर का बि कोठा म दि, जठै दानहाळी पेटी पड़ी ही। अर कोईबी बिपै हात कोनी घाल सक्यो। क्युं क हाल बा घड़ी कोनी आई ही।
क्युं क म तेरै सागै हूँ, कोई तेरो बाळई बाको कोनी कर सकै। अर इ नगरी का बोळा मिनख मेरा बणसी।”
जणा बे फरिसी बठैऊँ चलेग्या अर ईसुनै कंय्यांसिक मारां इकी साजिस रचबा लाग्या।