41 क्युंक बोलर्या हा, “ओ मसी ह!” पण क्युंक बोलर्या हा, “मसी गलिलऊँ थोड़ी आसी!
जणा बे बिनै जुबाब म बोल्या, “के तू बी तो गलिल को कोनी ह? सास्तरनै बाचर बेरो पाड़, परमेसर की खेबाळो गलिल म तो पैदा होबाऊँ रिह्यो।”
नतनएल बुज्यो, “नासरत! नासरतऊँ कोई चोखी चिज निकळ सकै ह के?” फलिपूस बोल्यो, “आर खुदई देखले।”
भीड़ मऊँ बोळाजणा बिपै बिस्वास कर्या अर बोल्या, “ओ मसी ह , जणाई तो बडा-बडा चमत्कार दिखाया हीं। कोई दुसरो अंय्यां का चमत्कार दिखा सकै ह के?”
अर म्हें बिस्वास कर्यो अर जाणगा हां क थेई परमेसर का पबितर मिनख हो।”
जणा बे मिनख बि लूगाईऊँ बोल्या, “तेरै खेबा की बजेऊँई म्हें बिपै बिस्वास कोनी कर्या, पण म्हें खुद इनै सुणर जाणगा हां क, जगत का मिनखानै बचाबाळो सचमई ओई ह।”
“आर एक मिनखनै देखो, बो बे सगळी बाता बता दिनी जखी म करी। के ओई तो मसी कोनी?”
लूगाई बिऊँ बोली, “म जाणू हूँ क, मसी जखो परमेसर को टाळेड़ो ह आसी। जद बो आसी जणा आपानै सगळी बाता बतासी।”
नतनएल बिऊँ बोल्यो, “गरूजी थे परमेसर का बेटा हो, थे इजरायल का राजा हो।”
बो सऊँ पेली आपका भाई समोननै ढुंढर बोल्यो, “म्हानै मसी मिलगो ह।” मसी को मतबल टाळेड़ो होवै।
आपा जाणा हा क ओ मिनख कठै को ह। पण जद मसी आसी, जणा कोई कोनी जाणसी क बो कठैऊँ आयो ह।”