बो बोल्यो, “थेई आनै खाबा ताँई क्युं द्यो।” जणा जुबाब म चेला बोल्या, “आपणै कनै तो बस पाच रोटी अर दो मछी ह पण आ तो हो सकै क, म्हें जावां अर आ सगळा ताँई रोटी मोल ल्यावां।”
थारै हाल बी क्युंई पलै कोनी पड़ी के? थानै याद कोनी के, जद म पाच झार मिनखानै पाच रोट्याऊँ धपायो हो जणा बचेड़ी रोट्या का टुकड़ा का थे कत्ता चोल्या भर'र उठाया हा?
अर म बा च्यारू जीवता पराण्या क बिच मऊँ एक हेलो आतो सुण्यो, “आबाळा टेम म धरती प काळ पड़सी बिमै एक मजुरिया की ध्यानगीऊँ एक दिन खाबा जोगोई ग्युं नहिस तीन दिन खाबा जोगोई जौ मोल लिओ जासी। पण जेतून का तेल अर अँगूरी का भाव कोनी बदलै।”