43 म मेरा परम-पिता का नामऊँ आयो हूँ पण थे मनै कोनी अपणायो। ज कोई खुदका नामऊँ आज्या जणा थे बिकै गेल होज्यास्यो।
ईसु बोल्यो, “म थानै पेलीई खे दिओ हो, पण थे मेरो बिस्वास कोनी कर्या। जखा काम म परम-पिता का नाम का हकऊँ करूं हूँ, बे मेरै पक्ष म गुवाई देवीं हीं।
म थानै अंय्यां इ ताँई बोलुँ हूँ क्युं क मेरै नामऊँ बोळा आसी अर खेसी, ‘म मसी हूँ।’ अंय्यां बोलर बे बोळा मिनखानै धोको देसी।
क्युं क म मेरी इंछ्या नइ पण मनै भेजबाळा की इंछ्यानै पूरी करबा ताँई ईस्बर नगरीऊँ धरती प उतर्यो हूँ।
परम-पिता, थारै नाम की मेमा होवै!” जणा ईस्बर नगरीऊँ एक उवाज आई, “म मेरी मेमा दिखादि अर ओज्यु दिखास्युं।”
क्युं क झूठा मसी अर झूठा परमेसर की खेबाळा आसी, बे सेलाणी-चमत्कार अर ताजूब का काम दिखासी। अर ज होयो तो बे टाळेड़ा मिनखानै बी छळबा की कोसिस करसी।
“क्युं क परमेसर जगत का मिनखाऊँ अंय्यां को परेम कर्यो, जिकै चलतै बो आपको इकलोतो बेटो दे दिओ। जिऊँ जखो बी बिपै बिस्वास करै बो नास नइ होवै पण अजर-अमर जीवन पावै।
जणा तो तू बो मिसरी मिनख कोनी के? जखो क्युंक दिना पेली बगावत कर च्यार झार बगावत्यानै उजाड़ म लेगो हो।”
क्युं क म थानै जाणू हूँ क थारै म परमेसर को परेम कोनी।