21 पण ईसु जि मनदर की बात करर्यो हो बा बिकी काया ही।
अर थे ओ कोनी जणो के थारी काया पबितर आत्मा को मनदर ह आ आत्मा थारै मांयनै रेह्वै ह जिनै परमेसर थानै दिओ ह। थे खुदका कोनी हो, पण परमेसर का हो।
थे जाणो कोनी के थे परमेसर का मनदर हो अर परमेसर की पबितर आत्मा थारै म रेह्वै ह?
ओ म्हापबितर झघा म सेवा करै ह, आ झघा सचा परमेसर को पबितर तम्मू ह, जिनै कोई मिनख कोनी, पण परबु बणायो ह।
क्युं क परमेसर की खुसी आ ही क बिका सगळा का सगळा गुण बिमै बास करै।
परमेसर का मनदर को मूरत्याऊँ काँई नातो? क्युं क आपा खुदई जीवता परमेसर का मनदर हां, जंय्यां बो खुदई खयो हो, “म बामै रेह्ऊँ हूँ, बामै चालू फिरूँ हूँ। म बाको परमेसर हूँ, बे मेरा मिनख हीं।
बचन देधारी होयो। बो दया अर सच क सागै म्हारै मांयनै रिह्यो। अर म्हें बिकी अंय्यां की मेमा देखी जंय्यां परम-पिता का इकलोता बेटा की मेमा।
अर जद बो मरेड़ा मऊँ जी उठ्यो जणा बिका चेलानै याद आयो क इकै बारां म बो बानै बोल्यो हो। अर बे धरमसास्तर प अर ईसु जखो बोल्यो हो बिपै बिस्वास कर्या।