5 “इब बा घड़ी आगी ह, जद म मेरा भेजबाळा क कनै जार्यो हूँ, अर थे कोईबी मना बुजो क म कठै जार्यो हूँ।
समोन पतरस बुज्यो, “परबु थे कठै जार्या हो?” ईसु बोल्यो, “जठै म जार्यो हूँ बठै हाल तू मेरै गेल कोनी आ सकै पण पाछै तू बठै मेरै गेल आसी।”
ईसु बोल्यो, “म थोड़ी-घणी टेम ताँई ओर थारै सागै हूँ। इकै पाछै म मेरै भेजबाळा क कनै चल्यो ज्यास्युं।
म परम-पिता कानिऊँई इ जगत म आयो। इब म इ जगतनै छोडर परम-पिता कनै जार्यो हूँ।”
जोक्यु थे मनै करबा ताँई इ धरती प सूप्या हा, बे सगळा काम कर म थारी मेमा करी ह।
बो धारमिक्ता क बारां बतासी क्युं क म परम-पिता कनै जार्यो हूँ अर थे मनै ओज्यु कोनी देखस्यो।
आओ ल्यो आपा आपणी आँख्या ईसु प लगावां। जखो बिस्वास को मालिक अर बिनै निधान करबाळो ह। बो आगला सुक क बारां म सोचतो होयो बेजती होबा की चिंत्या कर्या बिना सुळी प दुख भोग्यो अर परमेसर क सिंघासन क दायणै जार बिराजगो।
परमेसर को बेटो परमेसर की मेमा को उजाळो अर बिमै बिकोसोई सुभाव ह। बोई आपका बचना की सक्तिऊँ सरस्टि की सगळी चिजानै थाम राखी ह। बो मिनखा का पापनै धोर ईस्बर नगरी म सऊँ सक्तिसाली परमेसर क दायणै हात जार बेठगो।
ईसु जाणतो हो क परम-पिता बिकै हाता म सक्यु सूप दिओ ह। अर बो परमेसर क कनैऊँ आयो अर बिकनई पाछो जार्यो ह।
“क्युंक देर पाछै थे मनै कोनी देखस्यो। अर इकै क्युंक देर पाछै थे मनै ओज्यु देखस्यो।”
“थे मनै अंय्यां बोलता सुण्या हो, ‘म जार्यो हूँ, पण म थारै कनै ओज्यु आस्युं।’ ज थे मेरूँ परेम करो हो जणा थे इ बातऊँ राजी होस्यो क म परम-पिता कनै जार्यो हूँ क्युं क बो मेरूँ बडो ह।
जणा थे काँई करस्यो जद थे मिनख का बेटानै आसमान म उपर जाता देखस्यो, जठै बो पेली हो?
“इब म थारै कनै आर्यो हूँ पण अ बाता म इ जगत म रेह्ता-सेह्ता बोलुँ हूँ, जिऊँ क बाको हियो मेरी खुसीऊँ भरज्या।
जणा बिका चेला आपसरी म बतळाबा लाग्या, “ओ आ काँई बात बोलै ह क, ‘क्युंक देर पाछै मनै कोनी देखस्यो, अर बिकै क्युंक देर पाछै ओज्यु देखस्यो,’ अर ‘म परम-पिता क कनै जाऊँ हूँ?’