41 बे भाठानै हटायो, अर ईसु उपरनै देखर बोल्यो, “परम-पिता थारी जे हो, जखो थे मेरी सुणो हो।
बठैई ईसु बोल्यो “ओ परम-पिता ईस्बर नगरी अर धरती का मालिक म तेरो गुणगान करूं की तू आ बातानै ज्ञान्याऊँ अर स्याणाऊँ लखोर राखी अर गुठा छाप प आका भेदानै खोल्या।
अ सगळी बाता बोलर ईसु आसमान कानि देखर बोल्या, “ओ परम-पिताजी, बा घड़ी आगी ह, तेरा बेटानै मेमा द्यो जिऊँ थारो बेटो थारी मेमा कर सकै।
बि घड़ी ईसु पबितर आत्माऊँ भर'र राजी होर बोल्यो, “ओ परम-पिता ईस्बर नगरी अर धरती का मालिक म तेरो गुणगान करूं की तू आ बातानै ज्ञानीद्यान्याऊँ लखोर राखी अर गुठा छाप प आका भेदानै खोल्या। क्युं क ओ थारी नजर्या म चोखो हो।
कोईबी बात की चिंत्या मना करो, पण परमेसर को सगळी बात ताँई दिलऊँ धनेवाद करता होया थानै जखो चाए ह बि ताँई बिऊँ अरदास अर बिणती कर माँगता रह्यो।
पण बो दुसरो जखो चुंगी लेबाळो हो बो दूर खड़्यो होर आपकी छाती कुट-कुटर खेबा लाग्यो, ‘परमेसर मेर प दया करो म पापी हूँ।’ बो खुदनै ईस्बर नगरी कानि मुंडो उठार देखबा जोगोई कोनी जाण्यो।
क्युं क ओ थारी नजर्या म चोखो हो।
बिकी लासनै बि कबर म धर्यो जिनै बो ताजाई ढाडनै खोदर बणवायो हो अर कबर का मुंडानै बडासारका गोळ भाठाऊँ ढकर चलेगो।
युसूफ मखमल को चादरो खरीद्यो अर लासनै सुळीऊँ उतार बि चादरा म बिनै लपेटर ढाड क मांय खोदेड़ी कबर म धर दिओ। अर कबर का मुंडा प बडोसारो भाठो लगा दिओ।
बानै कबर का मुंडा आगै को भाठो सरकेड़ो लाध्यो।
पण म जाणू हूँ क, इब बी थे जोक्यु बी परमेसरऊँ माँगस्यो बो थानै देसी।”
सपता का पेला दिन दितबारनै, भागपाट्याई मरीयम मगदलिनी कबर प आई अर देखी क कबर का मुंडा को भाठो हटेड़ो ह।
पण बो तो पबितर आत्माऊँ भर'र ईस्बर नगरी कानि देख्यो, जणा बो परमेसर की मेमा का तेज अर परमेसर क दाया हात कानि ईसुनै खड़्यो देखर